Best Durga Mantra ये पांच मंत्र, जीवन में सुख शांति, मनोवांछित फल, इनके जप से सभी कष्ट होते हैं दूर और शत्रुओं पर मिलती है विजय

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Khabarwala 24 News New Delhi : Best Durga Mantra दुर्गा सप्तशती का पाठ जीवन में सुख शांति, मनोवांछित फल के लिए बेहद फलदायी माना जाता है लेकिन जो व्यक्ति किसी कारण से रोजाना दुर्गा सप्तशती का पाठ नहीं कर पाता है, उसे अर्गला स्तोत्र या फिर रोजाना इन पांच मंत्रों का जाप कर आदि शक्ति को प्रसन्न करना चाहिए। इससे आपके शत्रु आपको नुकसान नहीं पहुंचा पाएंगे और आपके यश, सुख समृद्धि में वृद्धि होगी।

1. जय त्वं देवी चामुण्डे जय भूतापहारिणि । 
जय सर्वगते देवी कालरात्रि नमोऽस्तु ते ॥1॥

Best Durga Mantra  अर्थः हे देवि चामुण्डे! तुम्हारी जय हो। सम्पूर्ण प्राणियों की पीड़ा हरने वाली, सांसारिक दुखों को दूर करने वाली देवि! तुम्हारी जय हो। सब में व्याप्त रहने वाली देवि! तुम्हारी जय हो। हे कालरात्रि! तुम्हें नमस्कार हो।

2. जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा शिवा क्षमा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते ॥2॥

Best Durga Mantra  अर्थ: जयंती (जो सदैव विजयी है), मंगला (जो शुभता प्रदान करने वाली है), काली (जो काल या समय से परे है), भद्रकाली (जो जीवन और मृत्यु की नियंत्रक है, जो काल से परे है), कपालिनी (जो खोपड़ी की माला पहनती हैं), दुर्गा (जो दुर्गति-नाशिनी हैं), शिवा (जो सदैव शुभ हैं और शिव के साथ एक हैं), क्षमा (जो सहनशीलता का प्रतीक हैं), धात्री (जो सभी प्राणियों का समर्थक है), स्वाहा (जो देवताओं को दी जाने वाली यज्ञ आहुतियों का अंतिम प्राप्तकर्ता है) और स्वधा (जो पितरों को दी जाने वाली यज्ञ आहुतियों का अंतिम प्राप्तकर्ता है) को नमस्कार है।

3. मधुकैटभविध्वंसि विधात्रवरदे नमः ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥3॥

Best Durga Mantra  अर्थ: मधु और कैटभ को मारने वाली और ब्रह्माजी को वरदान देने वाली देवि! तुम्हे नमस्कार है। तुम मुझे रूप (आत्मस्वरूप का ज्ञान) दो, जय (मोह पर विजय) दो, यश (मोह-विजय और ज्ञान-प्राप्तिरूप यश) दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो।।

4. महिषासुरनिर्णाशी भक्तानां सुखदे नमः ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥4॥

अर्थ: महिषासुर का नाश करने वाली और भक्तों को सुख देने वाली देवि! तुम्हें नमस्कार है। तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो ।

5. धूम्रनेत्रवधे देवि धर्मकामार्थदायिनी ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥5॥

अर्थ: राक्षस धूम्रनेत्र (धूम्रलोचना) का वध करने वाली, भक्तों को धर्म (धार्मिकता का मार्ग), काम (इच्छाओं की पूर्ति) और अर्थ (समृद्धि) देने वाली हे देवी, कृपया मुझे (आध्यात्मिक) सौंदर्य प्रदान करें, कृपया (आध्यात्मिक) विजय प्रदान करें , कृपया मुझे (आध्यात्मिक) महिमा प्रदान करें और कृपया मेरे (आंतरिक) शत्रुओं को नष्ट करे।

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