नई दिल्ली, 23 अक्टूबर (khabarwala24)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को केरल के पलाई में सेंट थॉमस कॉलेज के प्लेटिनम जुबली समारोह के समापन समारोह में शिरकत की।
राष्ट्रपति ने इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा ही विकास और प्रगति के अवसरों को तलाशने की कुंजी है। उन्होंने कहा कि सेंट थॉमस कॉलेज की स्थापना मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी। राष्ट्रपति ने यह जानकर प्रसन्नता व्यक्त की कि यह कॉलेज पिछले 75 वर्षों से इस प्रशंसनीय उद्देश्य की पूर्ति कर रहा है।
उन्होंने कहा कि सेंट थॉमस कॉलेज जैसे शैक्षणिक संस्थान ऐसी कार्यशालाएं हैं जहां भविष्य गढ़े जाते हैं। उन्होंने समग्र शिक्षा और सामाजिक न्याय पर इसके जोर के साथ-साथ कॉलेज द्वारा सततता और समावेशिता के मूल्यों को बढ़ावा देने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने यह भी कहा कि यह कॉलेज नैतिक मूल्यों के साथ बौद्धिक गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि 21वीं सदी को ‘ज्ञान की सदी’ के रूप में वर्णित किया जाता है। नवाचार को बढ़ावा देने वाला ज्ञान समाज को आगे बढ़ाता है और उसे आत्मनिर्भर बनाता है। साक्षरता, शिक्षा और ज्ञान की शक्ति ने केरल को मानव विकास के कई मापदंडों पर अग्रणी राज्यों में शामिल होने में सक्षम बनाया है।
राष्ट्रपति ने कोट्टायम के बारे में बात करते हुए कहा कि इस शहर ने सामाजिक और शैक्षिक परिवर्तनों के गौरवशाली अध्याय देखे हैं। अस्पृश्यता उन्मूलन का महान आंदोलन, जिसे ‘वायकोम सत्याग्रह’ के नाम से जाना जाता है, सौ साल पहले कोट्टायम में हुआ था। इसे ‘अक्षर-नगरी’ के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यह साक्षरता और शिक्षा का एक स्रोत रहा है। ‘साक्षर केरलम’ आंदोलन को इस क्षेत्र के लोगों द्वारा निभाई गई बहुत सक्रिय भूमिका वाले प्रयासों से मजबूती मिली। पुस्तकालय आंदोलन के माध्यम से सीखने को बढ़ावा देने की पीएन पणिक्कर की महान पहल ‘वायचु वलारुगा’ के एक बहुत ही सरल लेकिन शक्तिशाली संदेश से प्रेरित थी, जिसका अर्थ है ‘पढ़ो और बढ़ो’।
राष्ट्रपति ने रेखांकित किया कि शिक्षा का प्रकाश व्यक्तिगत और सामूहिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त करता है। उन्होंने शिक्षा का प्रकाश फैलाने में सेंट थॉमस कॉलेज के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सेंट थॉमस कॉलेज गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देना जारी रखेगा और इस प्रकार 2047 तक एक अधिक न्यायसंगत समाज और विकसित भारत के निर्माण में योगदान देगा।
–आईएएएस
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Source : IANS
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