पटना, 22 अक्टूबर (khabarwala24)। बरबीघा, बिहार के शेखपुरा जिले का एक प्रमुख विधानसभा क्षेत्र है, जो नवादा लोकसभा सीट का हिस्सा है। यह क्षेत्र बरबीघा और शेखोपुरसराय प्रखंडों के साथ-साथ शेखपुरा प्रखंड की 10 ग्राम पंचायतों को समेटे हुए है। विधानसभा चुनाव में इस सीट से कुल नौ उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें जदयू से कुमार पुष्पंजय, कांग्रेस से त्रिशूलधारी सिंह और जनसुराज से मुकेश कुमार सिंह प्रमुख नाम हैं।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को देखा जाए तो बरबीघा-नवादा रोड से लगभग 5 किलोमीटर दक्षिण स्थित सामस गांव का विष्णु धाम मंदिर धार्मिक दृष्टि से बेहद प्रसिद्ध है। यहां भगवान विष्णु की लगभग 7.5 फीट ऊंची और 3.5 फीट चौड़ी मूर्ति स्थापित है। यह मूर्ति 9वीं सदी की बताई जाती है और प्रतिहार कालीन लिपि में खुदे अभिलेख में मूर्तिकार ‘सितदेव’ का नाम अंकित है। मूर्ति के दाएं-बाएं दो छोटी मूर्तियां हैं, जिन्हें शिव-पार्वती या शेषनाग और उनकी पत्नी माना जाता है। यह मूर्ति जुलाई 1992 में तालाब की खुदाई के दौरान मिली थी।
ऐतिहासिक दस्तावेज बताते हैं कि 1812 में स्कॉटिश भूगोलवेत्ता फ्रांसिस बुकानन-हैमिल्टन ने अपनी रिपोर्ट में सबसे पहले बारबीघा का उल्लेख किया था। यहां 1894 में डाकघर और 1901 में थाना स्थापित किया गया। 1919-20 में यहां दिल्ली सल्तनत काल के 96 प्राचीन सिक्के भी मिले थे।
यह क्षेत्र बिहार के पहले मुख्यमंत्री कृष्ण सिंह की जन्मभूमि है। इसके अलावा राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का क्षेत्र से जुड़ाव रहा। उन्होंने यहां एक स्थानीय विद्यालय में प्रधानाचार्य के रूप में कार्य किया था।
भौगोलिक रूप से फल्गु नदी के किनारे बसा बरबीघा समतल भूभाग पर स्थित है, जो कृषि के लिए उपयुक्त है। यह शेखपुरा जिले का सबसे बड़ा वाणिज्यिक केंद्र भी है।
राजनीतिक परिदृश्य से देखा जाए तो बरबीघा लंबे समय तक कांग्रेस का गढ़ रहा है। 1951 में विधानसभा क्षेत्र बनने के बाद 17 बार हुए चुनावों में कांग्रेस ने 11 बार जीत हासिल की। जदयू ने तीन बार, निर्दलीय उम्मीदवारों ने दो बार और जनता पार्टी ने एक बार इस सीट पर कब्जा जमाया। 2005 में जदयू के रामसुंदर कनौजिया ने पहली बार इस सीट पर जीत दर्ज की। 2010 में भी जदयू ने जीत हासिल की। 2015 में कांग्रेस के सुदर्शन कुमार विधायक बने, लेकिन 2020 में उन्होंने जदयू का दामन थाम लिया और कांग्रेस को 113 वोटों से हराकर विधायक बने।
बरबीघा सीट पर भूमिहार मतदाता सबसे अधिक हैं और इन्हें निर्णायक माना जाता है। इसके अलावा कुर्मी, पासवान और यादव समुदायों की भी उल्लेखनीय संख्या है, जो चुनावी समीकरण में अहम भूमिका निभाते हैं।
अब देखना यह दिलचस्प होगा कि 2020 की जीत को जदयू दोहरा पाती है या कांग्रेस एक बार फिर अपने पारंपरिक गढ़ को वापस हासिल करने में सफल होती है।
Source : IANS
डिस्क्लेमर: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में Khabarwala24.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर Khabarwala24.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है।
Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Khabarwala24 पर. Hindi News और India News in Hindi से जुड़े अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर ज्वॉइन करें, Twitter पर फॉलो करें और Youtube Channel सब्सक्राइब करे।