नई दिल्ली, 15 अक्टूबर (khabarwala24)। हिंदू पंचांग के अनुसार, 16 अक्टूबर 2025 का दिन अत्यंत शुभ और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। खास बात यह है कि इस दिन कई ऐसे संयोग बन रहे हैं, जो पूजा-पाठ, व्रत और दान जैसे कार्यों के लिए विशेष रूप से फलदायी माने गए हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन विधि पूर्वक ईश्वर आराधना करने और पूर्वजों का तर्पण करने से जीवन में न केवल सुख-समृद्धि आती है, बल्कि पितरों की कृपा से सभी बाधाएं भी दूर होती हैं।
पंचांग के अनुसार, गुरुवार के दिन जब दशमी तिथि और अश्लेषा नक्षत्र का योग बनता है, तब यह दिन साधना, दान, व्रत और ईश्वर भक्ति के लिए विशेष फलदायी हो जाता है।
गुरुवार को कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि है, जो सुबह 10 बजकर 37 मिनट बजे तक रहेगी। वहीं नक्षत्र अश्लेषा रहेगा, जो दोपहर 12 बजकर 44 मिनट बजे तक प्रभावी रहेगा। इससे एक शुभ योग भी बन रहा है, जो सुबह 2 बजकर 10 मिनट बजे तक रहेगा। यह संयोग किसी भी धार्मिक कार्य, पूजा या दान के लिए अत्यंत शुभ संकेत देता है।
दशमी तिथि को पितृ तर्पण के लिए विशेष रूप से शुभ माना गया है। जो श्रद्धालु इस तिथि पर पूर्वजों के निमित्त तिल, जल और पके अन्न का अर्पण करते हैं, उन्हें पितृ ऋण से मुक्ति और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। इस नक्षत्र का संबंध आध्यात्मिक चेतना और भावनात्मक संतुलन से होता है।
यह दिन खास इसलिए भी है क्योंकि गुरुवार का दिन बृहस्पति देव को समर्पित होता है। बृहस्पति को ज्ञान, धर्म, बुद्धि और शुभता का प्रतीक माना गया है। इस दिन यदि श्रद्धापूर्वक पीले वस्त्र धारण कर, पीले पुष्पों, चने की दाल और हल्दी से पूजा की जाए, तो यह विशेष फलदायी होता है। साथ ही, यह दिन विद्यार्थियों, गुरुओं और शिक्षा से जुड़े लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी माना गया है।
गुरुवार का दिन भगवान विष्णु की आराधना के लिए भी अत्यंत पवित्र माना जाता है। विष्णु उपासना से मानसिक शांति, पारिवारिक सुख और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है। इस दिन ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जप करना विशेष फल प्रदान करता है। विष्णु सहस्रनाम का पाठ या बृहस्पति स्तोत्र का पाठ करने से जीवन की नकारात्मकता दूर होती है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
इस दिन पूजा की विधि काफी सरल है, जिसे पूरी श्रद्धा के साथ की जानी चाहिए। सुबह स्नान करके पीले वस्त्र धारण करें। भगवान विष्णु और बृहस्पति देव के चित्र या प्रतिमा के समक्ष दीपक जलाएं। उन्हें पीले फूल, चने की दाल, गुड़ और हल्दी अर्पित करें। इसके बाद मंत्रों का जप करें और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या धन का दान करें।
अगर शुभ और अशुभ समय की बात करें तो दिन का सबसे शुभ मुहूर्त 11 बजकर 21 मिनट से दोपहर 12 बजकर 7 मिनट तक रहेगा। इस दौरान किए गए कार्य विशेष फलदायी होते हैं। वहीं राहुकाल दोपहर 1 बजकर 11 मिनट से लेकर 2 बजकर 37 मिनट तक रहेगा, जो कि किसी भी शुभ कार्य के लिए निषिद्ध समय माना जाता है।
Source : IANS
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