मुंबई, 12 अक्टूबर (khabarwala24)। बॉलीवुड की दुनिया में कुछ चेहरे ऐसे होते हैं जो अपनी अदाकारी से दिलों में अमिट छाप छोड़ जाते हैं। ऐसी ही एक मशहूर अभिनेत्री थीं निरूपा रॉय, जिन्हें हम सब ‘बॉलीवुड की मां’ के नाम से जानते हैं। उनकी मां वाली भूमिका ने उन्हें घर-घर पहचान दिलाई और वे हर दर्शक के लिए ‘मां’ बन गईं।
1975 में रिलीज हुई फिल्म ‘दीवार’ में अमिताभ बच्चन की मां का रोल निभाकर उन्होंने अपनी खास पहचान बनाई। उस वक्त से लेकर अपने करियर के अंत तक, निरूपा रॉय ने मां के किरदार को ही अपनाया और बॉलीवुड में अपनी एक अलग जगह बनाई।
निरूपा रॉय का जन्म 4 जनवरी 1931 को गुजरात के वलसाड में हुआ था। उनका असली नाम कांता चौहान था। महज 14 साल की उम्र में उनकी शादी कर दी गई। शादी के बाद वे अपने पति कमल रॉय के साथ मुंबई आ गईं। कमल रॉय का सपना था कि वे फिल्मों में एक्टर बनें, लेकिन उनके प्रयासों में उन्हें सफलता नहीं मिली। एक दिन कमल रॉय ने अपनी पत्नी के लिए भी फिल्मी करियर में संभावनाओं के बारे में सोचा और दोनों ने एक गुजराती फिल्म ‘रणकदेवी’ के लिए ऑडिशन दिया। जहां कमल को रिजेक्ट कर दिया गया, लेकिन निरूपा को लीड रोल ऑफर हुआ। इसी के साथ उनका फिल्मी सफर शुरू हुआ।
शुरुआती दौर में निरूपा ने ज्यादातर धार्मिक और ऐतिहासिक फिल्मों में काम किया। वह ‘हर हर महादेव’, ‘रानी रूपमती’, और ‘नागपंचमी’ जैसी फिल्मों में देवी के रोल में नजर आईं। इन किरदारों की वजह से दर्शक उन्हें देवी मानने लगे थे। धीरे-धीरे उन्होंने हिंदी सिनेमा में अपनी जगह बनाई और सामाजिक फिल्मों में भी काम किया। उनकी फिल्म ‘दो बीघा जमीन’ को फिल्म इतिहास में एक मील का पत्थर माना जाता है, जिसमें उन्होंने शानदार अभिनय किया था।
लेकिन उनकी सबसे बड़ी पहचान ‘मां’ के किरदार से आई। 1975 में आई फिल्म ‘दीवार’ में अमिताभ बच्चन के साथ मां का रोल निभाकर वे सबके दिलों में अपनी जगह बना गईं। उस वक्त से लेकर 1990 के दशक तक उन्होंने कई फिल्मों में मां के किरदार निभाए। ‘अमर अकबर एंथोनी’, ‘खून पसीना’, ‘मुकद्दर का सिकंदर’, ‘सुहाग’, ‘इंकलाब’, ‘गिरफ्तार’, ‘मर्द’, और ‘गंगा-जमुना-सरस्वती’ जैसी फिल्मों में निरूपा रॉय ने अमिताभ बच्चन की मां के रूप में यादगार भूमिका निभाई। उनकी मां वाली भूमिका इतनी प्रभावशाली थी कि उन्हें बॉलीवुड की ‘क्वीन ऑफ मिसरी’ भी कहा जाता था।
निरूपा रॉय का फिल्मी करियर लगभग पांच दशकों तक चला, और इस दौरान उन्होंने करीब 300 फिल्मों में काम किया। शुरुआत में वह लीड एक्ट्रेस के रूप में काम करती थीं, लेकिन मां के किरदार ने उन्हें अलग पहचान और सम्मान दिलाया। उन्होंने अपने किरदारों में जो ममता, दर्द और प्यार दिखाया, वह हर दिल को छू गया। इसके लिए उन्हें 2004 में फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से भी सम्मानित किया गया।
13 अक्टूबर 2004 को निरूपा रॉय का निधन हो गया, लेकिन उनकी मां वाली भूमिका आज भी भारतीय सिनेमा में एक मिसाल के तौर पर याद की जाती है।
Source : IANS
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