CLOSE AD

अमजद अली खान: सरोद की नई धुनों के कारीगर जिन्होंने रागों को दिया नया जीवन

-Advertisement-
-Advertisement-
Join whatsapp channel Join Now
Join Telegram Group Join Now
-Advertisement-

मुंबई, 8 अक्टूबर (khabarwala24)। 9 अक्टूबर 1945 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में संगीत के एक बड़े परिवार में जन्मे उस्ताद अमजद अली खान ने भारतीय शास्त्रीय संगीत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। वह एक महान सरोद वादक थे और साथ ही एक ऐसे कलाकार भी थे, जिन्होंने पुराने के साथ-साथ नए रागों की भी रचना की। इस वजह से उन्हें संगीत की दुनिया में ‘सरोद की नई धुनों के कारीगर’ के नाम से जाना जाता है। उनकी संगीत यात्रा में परंपरा और नवीनता का अनोखा संगम देखने को मिला, जिसने उन्हें अलग पहचान दी।

अमजद अली खान का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ था, जहां संगीत की परंपरा गहराई से जमी हुई थी। उनके पिता उस्ताद हाफिज अली खान खुद एक प्रसिद्ध सरोद वादक थे, जिन्होंने अपने बेटे को बचपन से ही संगीत की बारीकियां सिखाईं। घर का माहौल संगीत से भरा था, इसलिए अमजद ने महज पांच साल की उम्र में सरोद सीखना शुरू कर दिया। उन्होंने दस साल की उम्र में उस समय के राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद और यूगोस्लाविया के राष्ट्रपति मार्शल टीटो के सामने संगीत प्रस्तुत किया था। उनकी पहली सार्वजनिक प्रस्तुति उन्होंने 12 साल की उम्र में दी, जिसमें उनकी लयकारी और सुरों की बारीकी ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

अमजद अली खान ने भारतीय संगीत की परंपरा को न केवल संभाला बल्कि उसे आगे बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह सेनिया बंगश घराने के पांचवीं पीढ़ी के कलाकार थे, जिन्होंने पारंपरिक रागों के साथ प्रयोग करते हुए नए रागों का निर्माण किया। उनके बनाए गए कुछ प्रसिद्ध रागों में ‘हरिप्रिया’, ‘सुहाग भैरव’, ‘विभावकारी’, ‘चन्द्रध्वनि’, ‘मंदसमीर’, ‘किरण’ और ‘रंजनी’ शामिल हैं। ये नए राग उनकी प्रतिभा और रचनात्मकता का उदाहरण हैं, जिनसे हिंदुस्तानी संगीत को एक नया आयाम मिला। उन्होंने अपनी रचनाओं से संगीत की दुनिया में अलग छाप छोड़ी।

उनका संगीत केवल भारत तक सीमित नहीं रहा, बल्कि वह दुनियाभर में भारतीय शास्त्रीय संगीत के लिए जाने गए। उन्होंने रॉयल अल्बर्ट हॉल, कैनेडी सेंटर, फ्रैंकफर्ट के मोजार्ट हॉल, सिडनी के ओपेरा हाउस सहित कई प्रतिष्ठित मंचों पर अपनी प्रस्तुति दी। उनके संगीत ने हजारों दिलों को छुआ और भारतीय संगीत को विश्व स्तर पर लोकप्रिय बनाया। अमजद अली खान ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, महात्मा गांधी और राजीव गांधी जैसे नेताओं को समर्पित विशेष राग भी रचे।

अमजद अली खान की निजी जिंदगी भी कला और संगीत से जुड़ी रही। उन्होंने भरतनाट्यम नृत्यांगना शुभालक्ष्मी से शादी की, जिनसे उनकी मुलाकात 1974 में कोलकाता में हुई थी। दोनों की शादी 1976 में हुई और उनके दो बेटे अमान अली बंगश और अयान अली बंगश भी सरोद वादक बने। इस तरह, उनके परिवार में संगीत की परंपरा सातवीं पीढ़ी तक रही।

अमजद अली खान को उनके संगीत के लिए कई पुरस्कार मिले हैं। उन्हें पद्मश्री (1975), पद्म भूषण (1991) और पद्म विभूषण (2001) से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, यूनेस्को पुरस्कार, कला रत्न पुरस्कार और तानसेन सम्मान भी प्राप्त हुए। ये सभी पुरस्कार उनकी कला की महत्ता और उनके योगदान का सबूत हैं।

Source : IANS

डिस्क्लेमर: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में Khabarwala24.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर Khabarwala24.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है।

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Khabarwala24 पर. Hindi News और India News in Hindi  से जुड़े अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर ज्वॉइन करें, Twitter पर फॉलो करें और Youtube Channel सब्सक्राइब करे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

-Advertisement-

Related News

-Advertisement-

Breaking News

-Advertisement-