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भारत की महिला शक्ति ने समुद्र की लहरों पर रचा इतिहास, श्रीलंकाई तटों के बाद भूमध्य रेखा को पार किया

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नई दिल्ली, 1 अक्टूबर (khabarwala24)। विश्व के पहले और ऐतिहासिक भारत की तीनों सेनाओं के महिला जलयात्रा अभियान ने बड़ी सफलता हासिल की है। महिला समुद्री यात्रा दल ‘समुद्र प्रदक्षिणा’ के तहत श्रीलंका के तटों को पार कर चुका है और अब भूमध्य रेखा को पार कर इतिहास रच दिया है। भारतीय सेना ने कहा कि यह प्रत्येक समुद्री मील साहस, लचीलापन और नारी शक्ति का प्रमाण है व भारत की भावना को विश्व के महासागरों के पार ले जा रहा है।

भारतीय सेना की खेल और साहसिक कार्य इकाई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “समुद्र प्रदक्षिणा, सीमाओं से परे साहस का प्रतीक, त्रि-सेवा एकीकरण और आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक, को 11 सितंबर को रक्षा मंत्री की ओर से गर्व के साथ रवाना किया गया। त्रि-सेवा की सर्व-महिला चालक दल ने श्रीलंका के तटों को पार किया और अब भूमध्य रेखा को पार कर इतिहास रच दिया है। प्रत्येक समुद्री मील साहस, दृढ़ता और नारी शक्ति का प्रमाण है, जो भारत की भावना को विश्व के महासागरों तक ले जा रहा है।”

10 सदस्यीय दल में अभियान नेता लेफ्टिनेंट कर्नल अनुजा वरुडकर, उप अभियान नेता स्क्वाड्रन लीडर श्रद्धा पी राजू, मेजर करमजीत कौर, मेजर ओमिता दलवी, कैप्टन प्राजक्ता पी निकम, कैप्टन दौली बुटोला, लेफ्टिनेंट कमांडर प्रियंका गुसाईं, विंग कमांडर विभा सिंह, स्क्वाड्रन लीडर अरुवी जयदेव और स्क्वाड्रन लीडर वैशाली भंडारी शामिल हैं।

टीम ने तीन साल का कठोर प्रशिक्षण लिया है, जिसकी शुरुआत क्लास-बी जहाजों पर छोटे अपतटीय अभियानों से हुई और अक्टूबर 2024 में अधिग्रहित क्लास-ए नौका आईएएसवी त्रिवेणी तक पहुंची। उनकी तैयारी में भारत के पश्चिमी समुद्र तट के साथ उत्तरोत्तर चुनौतीपूर्ण यात्राएं और इस साल की शुरुआत में मुंबई से सेशेल्स और वापसी का एक ऐतिहासिक अंतरराष्ट्रीय अभियान शामिल था, जिसने उनके समुद्री कौशल, स्थायित्व और आत्मनिर्भरता को प्रमाणित किया।

‘समुद्र प्रदक्षिणा’ में महिला शक्ति के सामने कई चुनौतियां हैं। सबसे कठिन चरण दिसंबर 2025 और फरवरी 2026 के दौरान दक्षिणी महासागर में केप हॉर्न की परिक्रमा होगी।

विशाल लहरों, बर्फीली हवाओं और अप्रत्याशित तूफानों के बीच दक्षिणी महासागर को पार करना नाविक कौशल की अंतिम परीक्षा माना जाता है। चालक दल आमतौर पर निगरानी प्रणालियों (जैसे 4 घंटे चालू और 4 घंटे बंद) में काम करते हैं, पाल, नौवहन, रखरखाव और खाना पकाने का काम संभालते हैं। इसके साथ ही ,नींद की कमी और खराब मौसम का भी सामना करते हैं।

अभियान के दौरान, टीम राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान के साथ मिलकर वैज्ञानिक अनुसंधान भी करेगी। इसमें सूक्ष्म प्लास्टिक का अध्ययन, समुद्री जीवन का दस्तावेजीकरण और समुद्री स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाना शामिल है।

इससे पहले, सर रॉबिन नॉक्स-जॉनस्टन (ब्रिटेन) 1969 में बिना रुके एकल परिक्रमा पूरी करने वाले पहले व्यक्ति थे। भारत में कैप्टन दिलीप डोंडे (रिटायर्ड) ने पहला एकल परिक्रमा अभियान (2009-10) पूरा किया और कमांडर अभिलाष टॉमी (रिटायर्ड) 2012-13 में बिना रुके परिक्रमा करने वाले पहले भारतीय थे। भारतीय नौसेना की ओर से आईएनएसवी तारिणी पर की गई नाविका सागर परिक्रमा (2017-18) और नाविका सागर परिक्रमा-II (2024-25) इससे पहले के सफल परिक्रमा अभियान रहे हैं।

Source : IANS

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