मुंबई, 25 सितंबर (khabarwala24)। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर यूनिक निवेशकों की संख्या (23 सितंबर तक) 12 करोड़ से अधिक हो गई है। यह जानकारी गुरुवार को एक्सचेंज की ओर से दी गई।
एनएसई ने बताया कि कुल निवेशक खातों (यूनिक क्लाइंट कोड्स) की संख्या 23.5 करोड़ हो गई है, जो कि जुलाई 2025 में 23 करोड़ को पार कर गई थी। इसमें आज तक हुई सभी ग्राहक पंजीकरण शामिल हैं।
ग्राहक एक से अधिक ट्रेडिंग मेंबर्स (ब्रोकर्स) के साथ पंजीकरण कर सकते हैं। इस कारण से निवेशक खातों की संख्या हमेशा यूनिक इन्वेस्टर्स से अधिक रहती है।
एनएसई के अनुसार, आज हर 4 निवेशकों में से एक (करीब 25 प्रतिशत) महिलाएं हैं। 12 करोड़ यूनिक निवेशकों की मीडियन ऐज 33 वर्ष हो चुकी है, जो कि 5 साल पहले 38 वर्ष थी और 40 प्रतिशत निवेशकों की संख्या 30 वर्ष से कम की है।
एनएसई के चीफ बिजनेस डेवलपमेंट ऑफिसर श्रीराम कृष्णन ने कहा, “इस साल, हमने अपने निवेशक आधार के मामले में एक और महत्वपूर्ण मानदंड पार कर लिया है। जनवरी में 11 करोड़ का आंकड़ा पार करने के बाद, यह सराहनीय है कि वैश्विक व्यापार और भू-राजनीति को लेकर लगातार बनी चिंताओं के बावजूद, एनएसई से जुड़ने वाले निवेशकों की संख्या लगभग आठ महीनों में एक करोड़ अतिरिक्त बढ़ गई है।”
इस स्थिर वृद्धि को कई प्रमुख कारकों का समर्थन प्राप्त है, जिसमें एक सुव्यवस्थित केवाईसी प्रक्रिया, हितधारकों के नेतृत्व वाले निवेशक जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से बढ़ी हुई वित्तीय साक्षरता, और निरंतर सकारात्मक बाजार धारणा शामिल है।
कृष्णन ने आगे कहा, “इक्विटी, एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ), रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (आरईआईटी), इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (इनविट), सरकारी बॉन्ड और कॉर्पोरेट बॉन्ड सहित एक्सचेंज-ट्रेडेड इंस्ट्रूमेंट्स में भागीदारी में वृद्धि इन कारकों को रेखांकित करती है।”
एनएसई के परिचालन शुरू होने के 14 साल बाद पंजीकृत निवेशक आधार 1 करोड़ के आंकड़े तक पहुंच गया था, अगले 1 करोड़ जुड़ने में लगभग सात साल लगे, उसके बाद 1 करोड़ जुड़ने में लगभग साढ़े तीन साल लगे और उसके बाद एक साल से थोड़ा ज्यादा समय लगा।
दूसरे शब्दों में, मार्च 2021 में पंजीकृत निवेशक आधार को 4 करोड़ के आंकड़े तक पहुंचने में 25 साल से ज्यादा का समय लगा और उसके बाद के 1 करोड़ निवेशक लगभग 6-7 महीनों में जुड़े।
भारत में निवेशकों की भागीदारी में तेजी से वृद्धि डिजिटलीकरण, फिनटेक तक बेहतर पहुंच, बढ़ते मध्यम वर्ग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सहायक नीतिगत उपायों के कारण है।
Source : IANS
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