मुरादाबाद, 19 सितंबर (khabarwala24)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर आधारित बायोपिक फिल्म ‘अजेय’ ने रिलीज के साथ ही दर्शकों के दिलों पर छाप छोड़ दी है। मुरादाबाद के सिनेमाघरों में इस फिल्म को देखने के लिए भारी भीड़ देखने को मिली। परिवारों संग युवा, छात्र और सामाजिक कार्यकर्ता खास उत्साह के साथ पहुंच रहे हैं। दर्शकों का कहना है कि यह फिल्म न केवल सीएम योगी के जीवन की प्रेरणादायी यात्रा को उजागर करती है, बल्कि आज के समाज के नैतिक मूल्यों का आईना भी है।
पुनीत सिंह ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “यह फिल्म बेहद शानदार है और लोगों को पूरी फैमिली के साथ देखनी चाहिए। फिल्म के जरिए बहुत ही अच्छा मैसेज दिया गया है, कि कैसे एक आम इंसान अपने रिश्तों और सुख-सुविधाओं को त्यागकर योगी का मार्ग चुनता है। आज वे पूरे प्रदेश की सेवा में लगे हैं।”
इसी क्रम में संजीव सेनी ने कहा, “मैंने इस फिल्म से एक चीज सीखी, जो कि मैं ये फिल्म अपने बेटे को भी जरूर दिखाऊंगा। इसमें न तो कोई राजनीतिक ध्रुवीकरण है, न समाज-विभाजन का छिपा एजेंडा। योगी जी ने जो सिखाया, यदि आपका उद्देश्य सटीक है, अडीग है, और आप हर परिस्थिति से लड़ने के लिए तैयार हैं, तो आप जमीन से उठकर महान व्यक्ति बन सकते हैं। ये हर जगह इतिहास में हैं, चाहे आप कहीं भी पढ़ लो या साहित्य की किताबें उठाकर पढ़ लो। मेन आपका उद्देश्य क्लियर होना चाहिए, अगर आपका उद्देश्य क्लियर नहीं है और उस उद्देश्य के लिए आपको कुछ भी करना पड़े, आप उसको सहन करते हुए ऊंचाई तक पहुंचते हैं।
संजीव ने 2027 के चुनावी संदर्भों में उठ रहे सवालों का खंडन किया। उन्होंने कहा, “कुछ लोग कह रहे हैं कि यह फिल्म ध्रुवीकरण के लिए बनी है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं। यह योगी जी का जीवन-परिचय मात्र है, एक ऐसा व्यक्तित्व जो हर भय से ऊपर उठकर अखाड़े में उतर गया और डर को पीछे छोड़कर बड़ा नेता बना। मैं सभी से अपील करता हूं, परिवार संग इसे अवश्य देखें। यह हर उम्र के लिए प्रेरणा का खजाना है।”
संस्कार कतियाल, हिंदू युवा वाहिनी के एक सक्रिय सदस्य, ने फिल्म देखने के बाद भावुक होकर कहा, “आज मैं खुद को सौभाग्यशाली और गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। फिल्म में दिखाए गए वे चेहरे, वे संघर्ष महाराज जी ने जिनकी नींव रखी, उस संगठन का हिस्सा होना हमारा सच्चा सम्मान है। हम हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता हैं, जो महाराज के त्याग की ज्योति जलाए रखते हैं। आज हम सबने सामूहिक रूप से फिल्म देखी, ताकि उनके जीवन की मूर्ति त्याग और तप हर भारतीय तक पहुंचे। प्रत्येक नागरिक को इसे देखना चाहिए और उनसे प्रेरणा ग्रहण करनी चाहिए।”
जब उनसे फिल्म पर लग रहे हिंदू-मुस्लिम विभाजन के आरोपों पर सवाल किया गया, तो संस्कार ने तीखा खंडन किया। “मैं ऐसी अफवाहों का पुरजोर विरोध करता हूं। प्रदेश में यदि कोई समुदाय सबसे शांतिप्रिय माहौल का आनंद ले रहा है, तो वह मुस्लिम बहनें हैं। महाराज जी की सरकार ने उन्हें प्रशासनिक संरक्षण दिया है। पहले तीन तलाक के बाद उन्हें उपेक्षित छोड़ दिया जाता था, लेकिन अब शोषण का सिलसिला थम चुका। उपद्रवियों के मन में बाबा जी का भय बसा है, उनके बुलडोजर की सख्ती का डर।”
क्षेत्रीय पार्षद दीन दयाल कतियाल ने कहा, “ऐसी फिल्म शायद 100 साल में पहली बार ही बनी है। और इसके अंदर एक व्यक्ति जो छोटे परिवार से आकर इतना महान व्यक्ति बना और उसने हमारे लोगों के लिए अपना पूरा जीवन न्योछावर कर दिया और मानवता के लिए काम किया है, उसके ऊपर इतना घटिया इलजाम एस्टिहसन साहब ने लगाया है और उनको समझना चाहिए कि उन्ही के समाज के लोगों के लिए योगी जी ने इतने काम किए हैं। आज मुस्लिम परिवार को जो भी फायदा पहुंच रहा है वह हमारे योगी जी से पहुंच रहा है। फिर उन्होंने ऐसी गलत बात कही।”
Source : IANS
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