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अमेरिकी न्याय विभाग की कोर्ट से अपील, लिसा कुक को बर्खास्त करने की इजाजत दी जाए

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वाशिंगटन, 19 सितंबर (khabarwala24)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले को अमेरिकी न्याय विभाग ने समर्थन देते हुए सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि फेडरल रिजर्व की गवर्नर लिसा कुक को बर्खास्त करने के आदेश को लागू करने की अनुमति दी जाए।

स्थानीय मीडिया के अनुसार, सॉलिसिटर जनरल डी जॉन सॉयर ने सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दिया, जिसमें निचली अदालतों के फैसलों में कई पूर्वाग्रहों के उल्लंघन का दावा है।

हालांकि, समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, इस आवेदन से सुप्रीम कोर्ट में फेड की स्वतंत्रता को लेकर एक बड़ा विवाद छिड़ सकता है।

डोनाल्ड ट्रंप ने 25 अगस्त को कथित मॉर्गेज धोखाधड़ी के आरोप में लिसा कुक को बर्खास्त कर दिया था। हालांकि, कुक ने किसी भी गलत काम से इनकार किया है। इसके बाद 28 अगस्त को वाशिंगटन, डीसी की एक संघीय अदालत में मुकदमा दायर किया गया। न्यायाधीश ने 9 सितंबर को फैसला सुनाते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से लिसा कुक को हटाने पर अस्थायी रूप से रोक लगाई।

ट्रंप प्रशासन फेड की बैठक से पहले मामले को यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर द डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया सर्किट में ले गया, लेकिन कोर्ट ने सोमवार को राष्ट्रपति ट्रंप की कुक को हटाने की याचिका को खारिज कर दिया, जो फेड की दो दिवसीय बैठक शुरू होने से कुछ घंटे पहले था।

लिसा कुक ने मंगलवार और बुधवार को फेडरल ओपन मार्केट कमेटी की बैठक में भाग लिया, जहां उन्होंने एक मुद्दे के पक्ष में मतदान किया था।

असल में लिसा कुक की नियुक्ति पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के समय हुई थी। लिसा कुक 2022 से फेड में सेवा दे रही हैं। उन्हें एक अन्य सदस्य के अपूर्ण कार्यकाल को पूरा करने के लिए नियुक्त किया गया था। इस लिहाज से उनका वर्तमान कार्यकाल 2038 तक चलेगा।

फेडरल रिजर्व गवर्नर के रूप में कार्य करने वाली पहली अश्वेत महिला बनकर इतिहास रचने वाली लिसा कुक ने अगस्त में ट्रंप के खिलाफ मुकदमा दायर किया था, जिसमें उन्हें पद से हटाने के उनके प्रयास को चुनौती दी गई थी।

उनका तर्क है कि अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से बताए गए कारण कानूनी रूप से अपर्याप्त थे और मौद्रिक नीति पर असहमति के कारण उन्हें हटाने के लिए सिर्फ एक बहाने के रूप में काम करते थे।

इस पर न्याय विभाग ने गुरुवार को कहा कि जब तक राष्ट्रपति बर्खास्तगी का कोई कारण बताते हैं, वह निर्णय उनके ‘अपरिवर्तित विवेकाधिकार’ के दायरे में आता है।

Source : IANS

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