Khabarwala 24 News New Delhi : Supreme Court पति से अलग होने के बाद पत्नी के गुजारा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत का कहना है कि एक महिला दूसरे पति से भी गुजारा पाने की हकदार है, भले ही उनकी पहली शादी कानूनी तौर पर खत्म न हुई हो। शीर्ष न्यायालय का कहना है कि अगर महिला और पहला पति सहमति से अलग हुए हैं, तो कानूनी तलाक नहीं होना उसे दूसरे पति से गुजारा मांगने से नहीं रोकता है।
महिला की अपील की स्वीकार (Supreme Court)
तेलंगाना हाईकोर्ट ने आदेश जारी किया था, जिसमें CrPC की धारा 125 के तहत महिला को दूसरे पति से गुजारा मिलने से इसलिए इनकार कर दिया था, क्योंकि उन्होंने शादी को कानूनी रूप से खत्म नहीं किया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ महिला की अपील को स्वीकार कर लिया है।
कानूनी और नैतिक जिम्मेदारी (Supreme Court)
जस्टिस बीवी नागरत्न और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच मामले की सुनाई कर रही थी। कोर्ट ने कहा, ‘यह याद रखें कि CrPC की धारा 125 के तहत गुजारा का अधिकारी पत्नी को मिलने वाला फायदा नहीं है, बल्कि पति की कानूनी और नैतिक जिम्मेदारी है।’
कलह के चलते दोनों अलग (Supreme Court)
अपीलकर्ता महिला ने पहले पति को औपचारिक तलाक दिए बगैर दूसरे पुरुष और इस मामले में प्रतिवादी से शादी कर ली थी। दोनों साथ रहे और एक बच्चा भी हुआ, लेकिन कलह चलते दोनों अलग हो गए। अब महिला ने CrPC की धारा 125 के तहत गुजारा की मांग की थी, जिसे फैमिली कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था।
पहली शादी खत्म नहीं हुई (Supreme Court)
बाद में हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया, क्योंकि पहली शादी कानूनी तौर पर खत्म नहीं हुई थी। प्रतिवादी का तर्क है कि महिला को उसकी पत्नी नहीं माना जा सकता, क्योंकि उसने पहले पति के साथ शादी कानूनी रूप से खत्म नहीं की है।
गुजारा देने से इनकार नहीं (Supreme Court)
अब सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि जब प्रतिवादी-दूसरे पति को महिला की पहली शादी के बारे में पता था। ऐसे में वह सिर्फ इसलिए गुजारा देने से इनकार नहीं कर सकता, क्योंकि महिला की पहली शादी कानूनी तौर पर खत्म नहीं हुई है।
उससे सच छिपाया गया था (Supreme Court)
अदालत ने दो तथ्यों पर जोर दिया, ‘पहला, यह मामला प्रतिवादी का नहीं है कि उससे सच छिपाया गया था। फैमिली कोर्ट ने साफतौर पर कहा था कि प्रतिवादी को अपीलकर्ता क्रमांक 1 की पहली शादी की पूरी जानकारी थी। प्रतिवादी ने अपीलकर्ता 1 के साथ सब जानते हुए एक नहीं, बल्कि दो बार शादी की।’
तलाक का कानूनी सबूत नहीं (Supreme Court)
कोर्ट ने कहा, ‘दूसरा, अपीलकर्ता 1 ने इस कोर्ट के सामने पहले पति से अलग होने का MoU पेश किया है। यह तलाक का कानूनी सबूत नहीं, लेकिन इस दस्तावेज और अन्य सबूतों से पता चलता है कि दोनों पक्षों ने संबंध खत्म कर लिए हैं और अलग रहे हैं। साथ ही अपीलकर्ता 1 पहले पति से गुजारा नहीं मांग रही है। ऐसे में अपीलकर्ता कानूनी दस्तावेज की अनुपस्थिति में पहले पति से अलग हो चुकी है और उस शादी से उसे कोई अधिकार नहीं मिल रहा है।’