Khabarwala 24 News New Delhi : Success Story Yeshwant Pendharkar देश-विदेश में पहुंच बनाने वाली विको आज दुनिया की जानी-मानी कंपनी है। आपने भी कभी न कभी विको का कोई न कोई प्रोडक्ट इस्तेमाल जरूर किया होगा। विको की शुरुआत यशवंत पेंढारकर के पिताजी केशव विष्णु पेंढारकर ने की थी। 85 साल के यशवंत पेंढारकर का शुक्रवार को निधन हो गया। दरअसल, केशव विष्णु पेंढारकर के बेटे यशवंत पेंढारकर ने इस कंपनी को आगे बढ़ाने में काफी योगदान दिया। यशवंत ने एलएलबी की थी। एक बार कंपनी सेंट्रल एक्साइज से जुड़े एक केस में फंस गई थी। केस को जीतने में यशवंत की कानूनी मदद महत्वपूर्ण रही। वह साल 2016 में कंपनी के चेयरमैन बने थे।
आज भी जुबान पर हैं जिंगल (Success Story Yeshwant Pendharkar)
80 और 90 के दशक में विको के विज्ञापन दूरदर्शन पर छाए हुए थे। इन विज्ञापनों में जो जिंगल इस्तेमाल किया जाता था, उसे तैयार करने में यशवंत पेंढारकर ने भी काफी मेहनत की थी। ‘विको टरमरिक, नहीं कॉस्मेटिक, विको टरमरिक आयुर्वेदिक क्रीम’ और ‘वज्रदंती, वज्रदंती विको वज्रदंती’ जैसे जिंगल आज भी जुबान पर हैं।
टूथ पाउडर था पहला प्रोडक्ट (Success Story Yeshwant Pendharkar)
कंपनी ने पहला आयुर्वेदिक प्रोडक्ट टूथ पाउडर बनाया। इसका नाम था विको वज्रदंती टूथ पाउडर। कंपनी का दावा था कि इसे बनाने में 18 जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया गया है। इस पाउडर का विज्ञापन उस समय दूरदर्शन पर काफी फेमस हुआ था।
कोने-कोने पहुंच गया प्रोडक्ट (Success Story Yeshwant Pendharkar)
साथ ही यह पाउडर भी देशभर में प्रसिद्ध हो गया और कोने-कोने में पहुंच गया। इसके बाद कंपनी के मानों पंख लग गए और मात्र तीन साल में ही उसका टर्नओवर 10 हजार रुपये सालाना पहुंच गया था। आज कंपनी की वैल्यू करीब 700 करोड़ रुपये है।
घर में हुई कंपनी की शुरुआत (Success Story Yeshwant Pendharkar)
महाराष्ट्र के नागपुर में पैदा हुए केशव विष्णु पेंढारकर के घर की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। शुरू में उन्होंने घर पर ही किराने की दुकान शुरू की। दुकान से बहुत ज्यादा फायदा नहीं हो पा रहा था। बाद में उन्होंने दुकान बंद की और मुंबई चले गए। यहां उन्होंने कई तरह के काम किए और बिजनेस मार्केटिंग के गुण सीखे।
गलतियां कीं और सीखा भी (Success Story Yeshwant Pendharkar)
इसके बाद वह कई तरह की चीजें खुद बनाते थे और खुद ही बेचते थे। इस दौरान उन्होंने कई गलतियां कीं और इनसे सीखा भी। उन्होंने देखा कि मार्केट में कई कंपनियों के केमिकल वाले कॉस्मेटिक प्रोडक्ट मौजूद हैं। ऐसे में उनके दिमाग में केमिकल-फ्री प्रोडक्ट बनाने का आइडिया आया।
मैन्युफैक्चरिंग यूनिट बना ली (Success Story Yeshwant Pendharkar)
इसके लिए केशव विष्णु पेंढारकर ने आयुर्वेदिक दवाओं के बारे में जानकारी ली और केमिकल-फ्री कॉस्मेटिक ब्रांड लॉन्च करने का फैसला लिया। केशव विष्णु पेंढारकर तीन कमरों के घर में रहते थे। उन्होंने किचन को ही आयुर्वेदिक प्रोडक्ट के लिए लिए चुना और वहीं पर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट बना ली।
घर-घर बेचने पड़ते थे प्रोडक्ट (Success Story Yeshwant Pendharkar)
दूसरे कमरे को गोदाम और ऑफिस बना लिया। सिर्फ एक कमरे में ही गुजर-बसर करने लगे। यहां उन्होंने 1952 में विको कंपनी (विको लैबोरेटरीज ) की शुरुआत की। शुरुआत में कंपनी के प्रोडक्ट घर-घर बेचने पड़ते थे। विको को बुलंदियों तक पहुंचाने में कंपनी के चेयरमैन यशवंत पेंढारकर का काफी योगदान रहा है।