नई दिल्ली, 3 नवंबर (khabarwala24)। महिला विश्व कप की शुरुआत पुरुषों के विश्व कप से 2 साल पहले ही हो गई थी। साल 1973 में पहली बार महिला विश्व कप खेला गया था। साल 1971 में बिजनेसमैन जैक हेवर्ड और इंग्लैंड टीम की कप्तान रचेल हेहो फ्लिंट ने बैठक की, जिसमें महिला क्रिकेट टीमों के बीच विश्व कप के आयोजन पर चर्चा हुई।
आखिरकार, साल 1973 में इस सपने को साकार किया गया। इस विश्व कप का आयोजन इंग्लैंड में हुआ, जिसमें सात टीमों ने हिस्सा लिया। इसमें एक ‘यंग इंग्लैंड’ टीम और एक ‘इंटरनेशनल इलेवन’ भी शामिल थी। इंग्लैंड के अलावा, इस विश्व कप में न्यूजीलैंड, त्रिनिदाद एंड टोबैगो और जमैका जैसे देश थे।
राउंड-रॉबिन फॉर्मेट में खेले गए इस टूर्नामेंट में प्रत्येक पारी में 60 ओवर फेंके गए। इस खिताब को इंग्लैंड ने अपने नाम किया।
भारत में महिला क्रिकेट की औपचारिक शुरुआत महेंद्र कुमार शर्मा के प्रयासों से हुई। 1973 में सोसाइटीज एक्ट के तहत लखनऊ में भारतीय महिला क्रिकेट संघ की स्थापना की गई। महेंद्र शर्मा उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ से जुड़े थे। उन्होंने लखनऊ में एक बैठक की, जिसमें औपचारिक तौर से वूमेन क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (डब्ल्यूसीएआई) की स्थापना की गई। इसी साल डब्ल्यूसीएआई को अंतरराष्ट्रीय महिला क्रिकेट परिषद (आईडब्ल्यूसीसी) की सदस्यता मिली।
भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने साल 1976 में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय टेस्ट मैच खेला। उस वक्त ऑस्ट्रेलियाई अंडर-25 टीम ने तीन मुकाबलों की सीरीज खेलने के लिए भारत का दौरा किया था। इसके बाद भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने न्यूजीलैंड, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के साथ देश और विदेश में क्रिकेट खेला।
एक ओर इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया की खिलाड़ी स्कर्ट में खेलीं, तो दूसरी तरफ भारत और वेस्टइंडीज की खिलाड़ियों ने ट्राउजर में यह मैच खेले।
भारत ने साल 1978 में पहली बार विमेंस वर्ल्ड कप खेला, लेकिन सेमीफाइनल तक पहुंचने में करीब 22 वर्ष लग गए। साल 2000 में पहली बार भारत ने वनडे विश्व कप के सेमीफाइनल में जगह बनाई, जहां न्यूजीलैंड के हाथों 9 विकेट से शिकस्त झेलनी पड़ी। साल 2005 में भारत ने सेमीफाइनल में इसी टीम को 40 रन से हराकर फाइनल में प्रवेश किया, लेकिन मिताली राज की कप्तानी में भारत को ऑस्ट्रेलिया के हाथों 98 रन से शिकस्त झेलनी पड़ी।
साल 2007 में पहली बार पुरुषों का टी20 वर्ल्ड कप खेला गया, जिसके 2 साल बाद साल 2009 में महिलाओं का टी20 विश्व कप आयोजित हुआ। इसमें भारत ने सेमीफाइनल में जगह बनाई, लेकिन हार का मुंह देखना पड़ा। अगले ही साल एक बार फिर टीम इंडिया सेमीफाइनल तक पहुंची, लेकिन फिर से नतीजा वही था।
वनडे विश्व कप 2017 में टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम को शिकस्त देकर फाइनल में जगह बनाई थी। मिताली की कप्तानी में भारत दूसरी बार वनडे विश्व कप के फाइनल में पहुंचा, लेकिन इंग्लैंड के खिलाफ फाइनल मैच को 9 रन के करीबी अंतर से गंवा दिया।
हरमनप्रीत कौर की कप्तानी में टी20 विश्व कप 2018 के सेमीफाइनल में हार के बाद भारत ने उन्हीं की कप्तानी में टी20 विश्व कप 2020 का फाइनल ऑस्ट्रेलिया के हाथों 85 रन से गंवा दिया।
भारतीय महिला टीम ने टी20 विश्व कप 2023 में एक बार फिर सेमीफाइनल तक का सफर तय किया। एक बार फिर टीम की कमान हरमनप्रीत के ही हाथों में थी, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के हाथों भारत को महज 5 रन के अंतर से हार का सामना करना पड़ा।
इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के हाथों फाइनल में इतने करीबी अंतर से मिली हार का मलाल पूरे देश को था, लेकिन वनडे विश्व कप 2025 में देश को अपनी शेरनियों से पहला खिताब जीतने की उम्मीद थी और नवी मुंबई में अपने घरेलू फैंस के बीच टीम इंडिया ने साउथ अफ्रीका को 52 रन से शिकस्त देकर आखिरकार खिताबी जीत का सूखा समाप्त किया।
भारतीय महिला क्रिकेट टीम की इस सफलता का श्रेय बिग बैश लीग (बीबीएल) और विमेंस प्रीमियर लीग (डब्ल्यूपीएल) को भी जाता है, जिसने महिला क्रिकेटर्स के उत्थान और उनके प्रदर्शन को निखारने में अहम योगदान रहा है। इसने न सिर्फ भारतीय महिला क्रिकेट, बल्कि अन्य देशों की खिलाड़ियों के स्तर और आत्मविश्वास को नई ऊंचाई दी है।
हरमनप्रीत कौर, जेमिमा रोड्रिग्स, स्मृति मंधाना, दीप्ति शर्मा जैसी खिलाड़ियों ने बीबीएल खेलकर विदेशी खिलाड़ियों और वहां की पिचों पर खेलने का अनुभव हासिल किया। विमेंस प्रीमियर लीग ने भारतीय खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय सितारों के साथ खेलने का मौका दिया, जिससे यकीनन उनका आत्मविश्वास बढ़ा है।
इन टी20 लीग ने खिलाड़ियों की आर्थिक स्थिरता को सुधारने के साथ प्रोफेशनल माहौल भी तैयार किया। यही वजह रही कि क्रिकेट अब महिला क्रिकेट सिर्फ जुनून नहीं रहा, बल्कि करियर विकल्प भी बन गया। इन लीग में खिलाड़ियों को बेहतरीन कोचिंग, फिटनेस रूटीन और रणनीतिक सोच सीखने को मिली। इसके साथ ही भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने भी अपनी महिला खिलाड़ियों को भरपूर सपोर्ट किया।
भारत के महिला विश्व कप खिताब जीतने का सकारात्मक प्रभाव यकीनन भविष्य में देखने को मिलेगा। आने वाले वर्षों में यह सफलता और नई ऊंचाइयां छूने की प्रेरणा बनेगी। यह खिताब भारतीय महिला क्रिकेट की तस्वीर और तकदीर को बदलने में कारगर साबित हो सकता है।
Source : IANS
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