Thursday, March 20, 2025

Religious Places Himachal देवभूमि में हर 12 वर्ष में बिजली गिरने से खंडित हो जाता है शिवलिंग, प्रचलित हैं आध्यात्म से जुड़ी कहानियां और मान्यताएं

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Khabarwala 24 News New Delhi : Religious Places Himachal हमारा देश प्राचीन काल से धर्म और आध्यात्म में विश्वास करने वाला रहा है। भारत भूमि ही एक मात्र ऐसी जगह है जिसके कण-कण में शंकर होने की मान्यता है। भारत के कोने-कोने में धर्म और आध्यात्म से जुड़ी कहानियां और मान्यताएं रची-बसी हैं। इन्हीं में से एक जगह पहाड़ की वादियों पर बसा हिमाचल प्रदेश है। वैसे तो हिमाचल प्रदेश में कई देवी-देवताओं के मंदिर हैं, लेकिन कुछ मंदिर अपने भीतर अद्भुत रहस्यों को समेटे हुए हैं। जिसकी वजह से इसे ‘देवभूमि’ के तौर पर भी जाना जाता है। देवभूमि में ऐसे कई मशहूर मंदिर हैं, जिनकी अपनी खास विशेषता है। आइए जानते हैं…

मंदिर के साथ जुड़ी हुई है यह बात (Religious Places Himachal)

एक ऐसे ही मन्दिर के बारे में जो कि हिमाचल प्रदेश के कुल्लू शहर में ब्यास और पार्वती नदी के संगम के पास ऊंचे पर्वत पर स्थित है। यह भगवान शंकर का एक रहस्यमय मंदिर है, जिसकी गुत्थी आजतक कोई नहीं सुलझा पाया। महादेव के इस मंदिर के साथ यह बात जुड़ी हुई है कि हर 12 साल के बाद इस मंदिर पर आकाशीय बिजली गिरती है, लेकिन इसके बाद भी मंदिर को न तो किसी तरह का कोई नुकसान होता है, और न ही भक्तों पर इसका कोई असर।

मंदिर का शिवलिंग हो जाता खंडित (Religious Places Himachal)

पौराणिक मान्यताओं की मानें तो यह शिव मंदिर जिस घाटी पर है, वो सांप के आकार में है। ऐसी मान्यताएं है कि भगवान भोलेनाथ ने इस सांप का वध किया था। इस मंदिर पर हर 12 साल में एक बार भयंकर आकाशीय बिजली गिरती है। बिजली के गिरने से मंदिर का शिवलिंग खंडित हो जाता है। इसके बाद मंदिर के पूजारी खंडित शिवलिंग पर मरहम के तौर पर मक्खन लगाते हैं, जिससे की महादेव को दर्द से राहत मिल सके।

सांपों का रूप धारण करता था दैत्य (Religious Places Himachal)

इसी मंदिर से जुड़ी एक अन्य धार्मिक कहानी भी है, जिसके अनुसार इस घाटी पर एक ‘कुलान्त’ नामक दैत्य रहता था। यह दैत्य अपनी शक्ति से सांपों का रूप धारण कर लेता था। दैत्य कुलान्त एक बार अजगर का रूप धारण कर ‘मथाण गांव’ के पास ब्यास नदी में कुंडली मारकर बैठ गया, जिससे नदी का प्रवाह रूक गया और पानी वहीं पर बढ़ने लगा।

क्रोधित हो उठे देवादि देव महादेव (Religious Places Himachal)

उसका उद्देश्य यह था कि यहां रहने वाले सभी जीव-जंतु पानी में डूबकर मर जाएंगे। यह देख देवादि देव महादेव क्रोधित हो उठे। इसके बाद महादेव ने एक माया रची। भगवान शिव दैत्य के पास गए और उसे कहा कि उसकी पूंछ में आग लगी है। महादेव की बात को सुनकर दैत्य ने जैसे ही पीछे मुड़कर देखा तो शिवजी ने त्रिशुल से ‘कुलान्त’ के सिर पर वार कर दिया और वह वहीं मर गया।

विशालकाय शरीर पहाड़ में तब्दील (Religious Places Himachal)

कहा जाता है जिसके बाद दैत्य का विशालकाय शरीर पहाड़ में तब्दील हो गया, जिसे आज हम ‘कुल्लू के पहाड़’ कहते हैं। कुलान्त के वध के बाद भगवान शिव ने इन्द्रदेव से कहा कि वह हर 12 साल में वहां बिजली गिराएं। ऐसा करने के लिए भगवान शिव ने इसलिए कहा, ताकि जन-धन की हानि न हो। भगवान खुद बिजली के झटके को सहन कर अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। ऐसी मान्यताएं सदियों से चली आ रही है, और हर बारह वर्ष पर यहां बिजली अवश्य गिरती है।

कुल्लू से मंदिर का रास्ता 7 किमी का (Religious Places Himachal)

वहीं इस मंदिर तक पहुँचने के मार्ग की बात करें तो कुल्लू से मंदिर का रास्ता लगभग 7 किलोमीटर का है। शिवरात्रि पर यहां भक्तों का सैलाब देखने को मिलता है। पहाड़ियों के बीच स्थित इस शहर का इतिहास भगवान शिव और बिजली महादेव मंदिर के इर्दगिर्द ही घूमता है। यह जगह समुद्र तल से क़रीब 2450 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां सर्दियों में भारी बर्फबारी होती है, लेकिन फ़िर भी भक्त हर ऋतु में यह दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं।

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