Wednesday, April 23, 2025

Recession On India पूरी दुनिया पर मंडरा रहा मंदी का खतरा, क्या है इसका मतलब? आर्थिक तूफान से फिर बच पाएगा भारत

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Khabarwala 24 News New Delhi : Recession On India आजकल अखबार, टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर एक शब्द बार-बार सुनाई दे रहा है-मंदी, लेकिन आखिर यह मंदी है क्या? आम आदमी के लिए क्या है इसका मतलब? सीधे शब्दों में कहें तो मंदी वह स्थिति है जब किसी देश की अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ जाती है। इसे तकनीकी रूप से तब माना जाता है जब देश का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) यानी कुल उत्पादन लगातार दो तिमाहियों (6 महीने) तक घटता है। आम आदमी के लिए मंदी का मतलब है- महंगाई बढ़ना, नौकरी का खतरा और जेब पर बोझ।

ट्रंप के टैरिफ का क्या कनेक्शन? (Recession On India)

डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति और मंदी के बीच का कनेक्शन कई आर्थिक कारकों से जुड़ा है, जो वैश्विक और घरेलू स्तर पर असर डाल सकता है। ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा की है, जिसके तहत अमेरिका उन देशों पर उतना ही आयात शुल्क लगा रहा है जितना वे अमेरिकी सामानों पर लगाते हैं। अप्रैल 2025 तक, इसमें भारत पर 26%, चीन पर 34%, और यूरोपीय संघ पर 20% टैरिफ शामिल हैं। इसके नतीजे मंदी को ट्रिगर कर सकते हैं।

वैश्विक व्यापार युद्ध छिड़ सकता (Recession On India)

टैरिफ से आयातित सामान महंगा हो जाता है, जिससे अमेरिकी उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति घटती है और महंगाई बढ़ती है। इससे मांग में कमी आ सकती है, जो कंपनियों के उत्पादन और नौकरियों को प्रभावित करती है। दूसरी ओर, प्रभावित देश जैसे चीन ने पहले ही अमेरिका पर टैरिफ लगा दिया है। इससे वैश्विक व्यापार युद्ध छिड़ सकता है। इससे निर्यात पर निर्भर अर्थव्यवस्थाएं, जैसे भारत की IT और फार्मा इंडस्ट्री, ठप हो सकती हैं।

ताजा घटनाक्रम : 2025 में मंदी (Recession On India)

अप्रैल 2025 तक वैश्विक अर्थव्यवस्था पर कई संकट मंडरा रहे हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण तेल और गैस की कीमतें आसमान छू रही हैं। इसके अलावा, अमेरिका और यूरोप में ब्याज दरें बढ़ने से वहां की कंपनियां निवेश कम कर रही हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने चेतावनी दी है कि 2025 में कई देश मंदी की चपेट में आ सकते हैं।

भारतीय इकोनामी पर असर होगा (Recession On India)

भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया से जुड़ी है, लेकिन हमारी ताकत हमारी घरेलू खपत में है। करीब 65% अर्थव्यवस्था भारतीय बाजार पर निर्भर है। फिर भी, मंदी का असर हम पर कई तरीकों से हो सकता है।

निर्यात में कमी : भारत टेक्सटाइल, ज्वेलरी और IT जैसे क्षेत्रों में बड़ा निर्यातक है। अगर अमेरिका और यूरोप में मंदी आई, तो वहां मांग घटेगी और हमारे कारोबार प्रभावित होंगे। हाल के महीनों में टेक्सटाइल निर्यात में 10-15% की गिरावट देखी गई है।

महंगाई का दबाव : तेल और गैस की कीमतें बढ़ने से पेट्रोल-डीजल महंगा होगा। इसका असर राशन, सब्जी और रोजमर्रा की चीजों पर पड़ेगा।

नौकरी का संकट : कंपनियां लागत कम करने के लिए छंटनी कर सकती हैं और यह सिलसिला जारी है। भारत में भी IT और स्टार्टअप सेक्टर पर दबाव बढ़ सकता है।

रुपये पर दबाव : डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत गिर सकती है, जिससे आयात महंगा होगा। अप्रैल 2025 में यह 85 रुपये प्रति डॉलर के आसपास चल रहा है।

आदमी की जिंदगी पर फर्क पड़ेगा (Recession On India)

अगर मंदी आई तो :

खर्च बढ़ेगा : दाल, चावल, तेल और ट्रांसपोर्ट महंगा हो जाएगा। आपकी मासिक बजट पर बोझ पड़ेगा।

नौकरी का डर : अगर आप नौकरीपेशा हैं, तो छंटनी या सैलरी कट का डर सताएगा। छोटे व्यापारियों की दुकानदारी मंदी पड़ सकती है।

बचत पर असर : बैंक की ब्याज दरें बढ़ने से कर्ज लेना महंगा होगा, और बचत करना मुश्किल हो जाएगा।

जीवनशैली में कटौती : बाहर खाना, सैर-सपाटा या नई चीजें खरीदना कम करना पड़ सकता है।

भारत में पहले भी आ चुकी मंदी (Recession On India)

आजादी के बाद भारत ने चार बड़ी मंदी देखी हैं- 1958, 1966, 1979 और 1991। 1991 का संकट सबसे गंभीर था, जब देश के पास विदेशी मुद्रा भंडार इतना कम था कि सिर्फ 2 हफ्ते का आयात संभव था। तब सरकार ने अर्थव्यवस्था को खोलने (उदारीकरण) का फैसला लिया, जिससे हालात सुधरे। 2008 की वैश्विक मंदी में भी भारत प्रभावित हुआ, लेकिन मजबूत घरेलू मांग और सरकारी पैकेज ने हमें जल्दी उबार लिया।

क्या कर सकता है आम आदमी? (Recession On India)

मान लीजिए, आप एक मध्यमवर्गीय परिवार से हैं। एक आम भारतीय के लिए मंदी का मतलब है रोजमर्रा की जिंदगी में बदलाव। मंदी से पूरी तरह बचना मुश्किल है, लेकिन कुछ कदम आपकी मदद कर सकते हैं।

बचत बढ़ाएं: जरूरी खर्चों के लिए 6 महीने का फंड तैयार रखें।

खर्चों पर लगाम: गैर-जरूरी चीजों जैसे लग्जरी सामान पर खर्च कम करें।

कौशल बढ़ाएं: नौकरी में टिके रहने के लिए नई स्किल सीखें, जैसे डिजिटल मार्केटिंग या डेटा एनालिसिस।

निवेश में सावधानी: शेयर बाजार में जोखिम लेने से पहले अच्छी रिसर्च करें।

जेब संभाले और उम्मीद बनाएं (Recession On India)

मंदी एक आर्थिक तूफान की तरह है, जो कभी भी आ सकता है। अप्रैल 2025 में वैश्विक हालात देखकर लगता है कि खतरा करीब है, लेकिन भारत की मजबूत घरेलू अर्थव्यवस्था और सरकार की नीतियां इसे कम करने में मदद कर सकती हैं। इतिहास बताता है कि हम पहले भी मंदी से उबरे हैं और इस बार भी उबर सकते हैं। आम आदमी के लिए जरूरी है कि वह सतर्क रहे, अपनी जेब संभाले और उम्मीद बनाए रखे। आखिर, ये दौर भी गुजर जाएगा।

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