Khabarwala 24 News New Delhi : New Discovery Mystery Revealed अब तक माना जाता रहा है कि खेती शुरू करने से पहले आदि मानव मांसाहारी थे मगर एक नए अध्ययन ने इसके उलट सबूत पेश किए हैं। एक नई खोज ने इस रहस्य से पर्दा उठाने में मदद की है। वैज्ञानिकों ने उत्तरी अफ्रीका में रहने वाले आदिमानवों के खान-पान का एक नक्शा तैयार किया है और हैरतअंगेज रूप से उसके खान-पान में पेड़-पौधों पर आधारित यानी शाकाहारी भोजन बेहद अहम हिस्सा था। वैज्ञानिकों ने लगभग 15,000 साल पहले के अवशेषों का रासायनिक परीक्षण किया है। ये सात लोगों के अवशेष हैं जो उत्तर-पूर्वी मोरक्को के ताफोराल्ट गांव के करीब एक गुफा में मिले थे। ये लोग इबेरोमौरूशियन संस्कृति के थे। जर्मनी के इंस्टिट्यूट फॉर इवॉल्यूशनरी एंथ्रोपोलॉजी में पीएचडी कर रहीं जैनब मोब्ताहिज मुख्य शोधकर्ता हैं, जो ‘नेचर ईकोलॉजी एंड इवॉल्यूशन’ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
रसायनिक परीक्षण किया (New Discovery Mystery Revealed)
वैज्ञानिकों ने इन अवशेषों में उपलब्ध हड्डियों और दांतों का रसायनिक परीक्षण किया है। विश्लेषण में वैज्ञानिकों को इन अवशेषों में कार्बन, नाइट्रोजन, जिंक, सल्फर और स्ट्रोनियम के अंश मिले हैं, जो इस बात का संकेत हैं कि वे किस तरह की वनस्पति और मांस खाते थे। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये अंश खाए जा सकने लायक जंगली पौधों जैसे कि सूखे मेवे, पिस्ता, जई, बलूत और दाल हैं। गुफा से जो अन्य जीवों की हड्डियां मिली हैं, वे मुख्यतया भेड़ की हैं। ताफोराल्ट की गुफा में जिन सात लोगों के अवशेष मिले थे। उनमें दो शिशु भी थे। उनके दांतों की तुलना जब मां के दूध और ठोस आहार की आयु के बीच की गई तो पाया गया कि आयु बढ़ने के साथ-साथ उनके भोजन में बदलाव हुए थे। शोध के मुताबिक 12 महीने की आयु से उन्हें ठोस आहार देना शुरू किया गया।
शाकाहार अहम हिस्सा था (New Discovery Mystery Revealed)
मोब्ताहिज कहती हैं अब तक यही माना जाता रहा है कि घुमंतू शिकारी आदिमानवों के आहार का मुख्य हिस्सा जानवरों से मिलने वाला प्रोटीन था, लेकिन ताफोराल्ट से मिले सबूत दिखाते हैं कि उनकी थाली में बड़ा हिस्सा वनस्पति आधारित खाने का था। शोध में शामिल एक अन्य शोधकर्ता फ्रांसीसी रिसर्च एजेंसी सीएनआरएस की क्लेविया यावेन कहती हैं कि यह एक अहम निष्कर्ष हैं। उन्होंने कहा, “यह अहम है क्योंकि यह दिखाता है कि खेती शुरू होने से पहले ही धरती पर रहने वाले कई समुदायों ने शाकाहार को अपने भोजन का हिस्सा बना लिया था। ऐसे भी संकेत हैं कि वे सालभर खाने की आपूर्ति बनाए रखने के लिए खाद्य वनस्पतियों का भंडारण करते थे लेकिन यह स्पष्ट है कि उन्होंने खेती करना शुरू नहीं किया था और वे जंगली पौधों पर ही निर्भर थे।
बच्चों को भी शाकाहार (New Discovery Mystery Revealed)
मोब्ताहिज कहती हैं यह दिलचस्प है कि हमारे शोध में समुद्री या ताजा पानी के जीवों को खाने का न्यूनतम संकेत मिला है। साथ ही यह भी प्रतीत होता है कि उन्होंने अपने शिशुओं के खाने में जंगली पौधों का इस्तेमाल पहले के अनुमान से कहीं जल्दी शुरू कर दिया था। इबेरोमौरूशियन लोग भी घुमंतू शिकारी थे जो 25 हजार से 11 हजार साल पूर्व के बीच मोरक्को और लीबिया में रहते थे। अब तक मिले सबूत दिखाते हैं कि ये भी मुख्यतया गुफाओं में ही रहते थे लेकिन अपने मृत परिजनों को दफन करते थे। शोधकर्ता कहते हैं कि गुफाओं का अत्यधिक प्रयोग दिखाता है कि ये साल के अधिकतर हिस्से एक जगह टिककर बिताते थे। उन्होंने अलग-अलग मौसमों में जंगली पौधों के पके हुए फलों का इस्तेमाल किया। इनके दांतों से सबूत मिलते हैं कि वे पौधों से मिलने वाले स्टार्च का खूब इस्तेमाल करते थे।
जीवनशैली में बदलाव (New Discovery Mystery Revealed)
मोब्ताहिज कहती हैं कि कुछ घुमंतू शिकारियों ने खेती शुरू की, जबकि अन्य समूहों ने नहीं। इस जानकारी से खेती के विकास और मानव समाज के नई रणनीतियों को अपनाने के बारे में अहम सुराग मिल सकते हैं। खेती की शुरुआत लगभग 11,500 साल पहले मध्य पूर्व में हुई थी। यह मानव विकास की यात्रा का एक बेहद अहम पड़ाव था। इससे ना सिर्फ उसका खान-पान बदला बल्कि पूरी जीवनशैली में बदलाव आया। उसके बाद इंसान घुमंतू शिकारी ना होकर एक जगह बस कर रहने वाला प्राणी बन गया। उससे पहले लगभग तीन लाख साल से इंसान अफ्रीका में जन्मा और जंगल-जंगल घूमता रहा उस दौरान उसका खान-पान क्या था, इसका अंदाजा तो लगाया जा सकता है क्योंकि वह शिकार करता था, यानी मांस खाता था. लेकिन आदिमानव की जीवनशैली के बारे में सही-सही पता नहीं था।