चंडीगढ़, 2 नवंबर (khabarwala24)। हरियाणा कांग्रेस को बड़ा झटका लगा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री संपत सिंह ने पार्टी छोड़ने की घोषणा की। उन्होंने रविवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को अपना त्यागपत्र भेज दिया।
संपत सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अपना त्यागपत्र शेयर करते हुए लिखा, “मैं तुरंत प्रभाव से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देता हूं। पार्टी के संबंधित पदाधिकारियों को मैंने अपना इस्तीफा भेज दिया है।
उन्होंने मल्लिकार्जुन खड़गे को भेजे त्यागपत्र में लिखा कि आपसे, चूंकि हमारा व्यक्तिगत परिचय नहीं है, कृपया मुझे अपना संक्षिप्त परिचय देने की अनुमति दें। मैं हरियाणा विधानसभा का छह बार निर्वाचित सदस्य रहा हूं। मैंने दो कार्यकाल तक कैबिनेट मंत्री और एक कार्यकाल तक नेता प्रतिपक्ष के रूप में कार्य किया है। राजनीति में आने से पहले मैं राजनीति विज्ञान का सहायक प्राध्यापक था। मेरी राजनीतिक यात्रा का संक्षिप्त उल्लेख करूं तो मैंने वर्ष 2009 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) जॉइन की। मुझे फतेहाबाद विधानसभा क्षेत्र से टिकट देने का आश्वासन था, परंतु मुझे नलवा से चुनाव लड़ने को कहा गया। इसके बावजूद नलवा की जनता ने मेरे कार्य और निष्ठा पर विश्वास जताते हुए मुझे विधानसभा के लिए चुना। दुर्भाग्यवश, कांग्रेस पार्टी फतेहाबाद सीट हार गई, जिसका सीधा कारण यह था कि जनता मेरे क्षेत्र परिवर्तन से नाराज थी, जबकि मैं वहां से लगातार पांच बार जीत चुका था। कांग्रेस में मेरे प्रवेश से मेरे प्रभाव वाले लगभग आधे दर्जन अन्य क्षेत्रों में भी पार्टी को विजय मिली।
संपत सिंह ने आगे कहा कि इसके बावजूद मुझे न तो मंत्रीमंडल में स्थान मिला और न ही संगठन में कोई भूमिका। बाद में मुझे ज्ञात हुआ कि चुनाव के बाद मेरी कुमारी सैलजा से मुलाकात तथा उनके मंत्रालय द्वारा मेरे क्षेत्र को 18 करोड़ रुपए की स्वीकृति दिए जाने के कारण मुझे दरकिनार कर दिया गया। इसके बाद मुझे एक ही क्षेत्र तक सीमित कर दिया गया, जिससे मैं हरियाणा के अन्य हिस्सों में पार्टी को सशक्त नहीं कर सका। मेरे साथ आए कई सहयोगी 2014 में वापस इनेलो में चले गए और परिणामस्वरूप उस वर्ष हिसार लोकसभा और विधानसभा सीटें इनेलो ने जीत लीं। इतिहास ने 2019 के विधानसभा चुनावों में खुद को दोहराया। मुझे फिर टिकट नहीं मिला, और नलवा व फतेहाबाद दोनों सीटें भाजपा ने जीत लीं।
उन्होंने आगे कहा कि साल 2024 में मुझे सिरसा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का समन्वयक नियुक्त किया गया, जहां कुमारी सैलजा कांग्रेस उम्मीदवार थीं। उनके पक्ष में मेरे सच्चे प्रयासों से राज्य नेतृत्व असुरक्षित महसूस करने लगा। 2009 से 2024 तक पार्टी की लगातार हार पर कोई जवाबदेही तय नहीं हुई। ‘वोट चोरी’ या ‘टिकट चोरी’ के दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। 2005 में भजनलाल के नेतृत्व में कांग्रेस ने 67 सीटें जीती थीं और उसके बाद से पराजयों का सिलसिला जारी है।
उन्होंने अपने त्यागपत्र में यह भी लिखा कि हरियाणा की जनता अब राज्य और राष्ट्रीय नेतृत्व दोनों से निराश है। 2024 की हार के बाद स्वयं राहुल गांधी ने स्वीकार किया कि राज्य नेतृत्व ने व्यक्तिगत हितों को पार्टी से ऊपर रखा। फिर भी वही नेतृत्व बना रहा। इन परिस्थितियों में मुझे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की उस क्षमता पर विश्वास नहीं रहा कि वह हरियाणा की जनता के हितों का प्रतिनिधित्व कर सकती है। मैं एक गर्वित हरियाणवी हूं, और अपने प्रदेश की जनता को निराश नहीं कर सकता। हरियाणा के प्रति मेरी प्रतिबद्धता अटूट है, परंतु वर्तमान कांग्रेस नेतृत्व में मेरा विश्वास समाप्त हो गया है। अतः, मैं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से अपना त्यागपत्र देने के लिए विवश हूं।
Source : IANS
डिस्क्लेमर: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में Khabarwala24.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर Khabarwala24.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है।
Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Khabarwala24 पर. Hindi News और India News in Hindi से जुड़े अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर ज्वॉइन करें, Twitter पर फॉलो करें और Youtube Channel सब्सक्राइब करे।















