बरेली, 3 नवंबर (khabarwala24)। आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा कि भारत कभी भी हिंदू राष्ट्र या इस्लामिक राष्ट्र नहीं बन सकता और ऐसे बयान व घोषणाएं समाज की एकता के लिए घातक हैं। देश एक संविधान के तहत बहु-धार्मिक, लोकतांत्रिक एवं धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था पर टिका है। यही हमारी असली ताकत और खूबसूरती है।
मौलाना रजवी ने उन लोगों की निंदा की जो सार्वजनिक बयानबाजी कर भारत को किसी एक धार्मिक पहचान में सीमित करने का प्रयास करते हैं। उन्होंने कहा कि चाहे मुसलमानों के कट्टरपंथी तत्व हों या स्वयंघोषित साधु-संत—भारत का लोकतांत्रिक राज्य और संविधान हर नागरिक को समान अधिकार देता है। मुस्लिम शासनकाल, ब्रिटिश काल या 1947 के बाद आजाद भारत सभी ऐतिहासिक दौरों के बावजूद यह देश संविधान के दायरे में रहकर चला है और यही इसकी मजबूती है।
मौलाना ने ध्यान दिलाया कि प्रधानमंत्री मोदी देश को विकास की ऊंचाइयों पर ले जाना चाहते हैं, मगर सांप्रदायिक बयानबाजी से इस प्रयास को नुकसान पहुंच रहा है। किसी भी प्रकार का धार्मिक-प्रमुख राष्ट्रवाद देश की तरक्की और सामाजिक सद्भाव के लिए हानिकारक होगा।
उन्होंने सभी नागरिकों और जनहितैषी नेताओं से अपील की कि वे संवैधानिक मूल्यों, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक एकता की रक्षा करें। उनका कहना है कि अगर हम विविधता को अपनाएंगे और संविधान के आदर्शों का पालन करेंगे तो ही भारत की प्रगति सुनिश्चित होगी।
बता दें कि कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर सोमवार को जाजमऊ स्थित सिद्धनाथ मंदिर में दर्शन करने गए। इस दौरान उन्होंने कहा कि अगर हिंदुओं के बच्चे 99 प्रतिशत हिंदू नहीं हैं, तो इसके पीछे की वजह है कि हम अपने बच्चों को रामायण और गीता का ज्ञान नहीं दे रहे। जब हमें अपने धर्म बोध और पुस्तकों का ज्ञान नहीं होगा, तो हम कैसे हिंदू होंगे? धर्म परिवर्तन वही लोग कर रहे हैं, जिन्हें अपने धर्म के बारे में ज्ञान नहीं।
इस पर मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कथा कथावाचक ने हिंदू समाज के लोगों को आयना दिखाने वाली बात कही है। हर व्यक्ति को चाहिए कि अपने बच्चों को धार्मिक शिक्षा दे, और धर्म के मुख्य उद्देश्य को समझना व पढ़ना जरूरी है। अच्छा इंसान वो है जो अपने धर्म के वसूलों पर अमल करते हुए समाज और देश के हितों की बात करे।
मौलाना ने आगे कहा कि भारत में मुसलमानों ने कोई भी ऐसी संस्था स्थापित नहीं की जहां से धर्मांतरण का कार्य कराया जाता हो। अगर कोई मुस्लिम व्यक्ति धर्मांतरण का काम कराता है या इसके लिए लालच और दबाव डालता है तो ये पैगंबर इस्लाम की शिक्षा और इस्लाम व संविधान के खिलाफ है।
Source : IANS
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