Khabarwala 24 News New Delhi: Malana Village कुल्लू की मणिकरण घाटी में स्थित मलाणा गांव हमेशा से ही एक रहस्यमय और अनोखे रूप में जाना जाता है। इसे दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्रों में से एक माना जाता है, और यहां के लोग अपने विशिष्ट कानून और परंपराओं का पालन करते हैं। मलाणा का इतिहास और संस्कृति, दोनों ही बेहद दिलचस्प हैं।
अपना न्याय व्यवस्था और कानून (Malana Village)
मलाणा गांव में देवता जमलू का कानून लागू है, जो यहां के निवासियों के लिए सर्वोच्च हैं। कहा जाता है कि देवता जमलू, जो कि स्थानीय रूप से जमदग्नि ऋषि के रूप में पूजे जाते हैं, ने इस क्षेत्र में अपना आधिपत्य स्थापित किया था। यहां की न्याय व्यवस्था को “ज्येष्ठांग” और “कनिष्ठांग” के रूप में बांटा गया है, जहां चुने हुए लोग ही फैसले करते हैं। इन नियमों को गांववाले बड़े श्रद्धा से मानते हैं और इनके अनुसार ही अपने जीवन के फैसले लेते हैं।
क्या है ज्येष्ठांग” और “कनिष्ठांग” (Malana Village)
ज्येष्ठांग” और “कनिष्ठांग” गांव की न्याय व्यवस्था में महत्वपूर्ण पद हैं। “ज्येष्ठांग” का अर्थ ‘वरिष्ठ अंग’ यानी प्रमुख व्यक्ति होता है और यह पद गांव के सबसे सम्मानित बुजुर्ग या योग्य व्यक्ति को दिया जाता है, जिनका गांव के सबसे महत्वपूर्ण फैसलों में भागीदार होता है और धार्मिक परंपराओं, कानूनों का पालन करने में सक्षम होता है।
वहीं, “कनिष्ठांग” का अर्थ ‘नवीन अंग’ यानी न्यायिक सहायक होता है, जो ज्येष्ठांग का सहयोगी होता है और फैसलों में उसकी मदद करता है। कनिष्ठांग का कार्य छोटे विवादों का समाधान करना और ज्येष्ठांग के निर्देशों के अनुसार निर्णय लेना होता है, जिससे दोनों मिलकर गांव की न्याय व्यवस्था को बनाए रखते हैं।
बाहरी लोगों पर सख्त नियम (Malana Village)
मलाणा में बाहरी लोगों को चीजें छूने की अनुमति नहीं है। यहां के देवता के स्थान और पवित्र क्षेत्र में प्रवेश पर विशेष नियम लागू हैं। अगर कोई बाहरी व्यक्ति यहां के पवित्र स्थानों या चीजों को छूता है, तो उसे जुर्माना भरना पड़ता है, जो 5000 रुपये तक हो सकता है। पुराने समय में, ऐसे जुर्माने का समाधान बकरा भेंट करने के रूप में किया जाता था। यहां के लोग शुद्धता को बहुत महत्व देते हैं और अपने धार्मिक स्थलों को किसी भी बाहरी संपर्क से बचाने की कोशिश करते हैं।
बोली अनोखी (Malana Village)
मलाणा के लोग अपनी विशेष भाषा बोलते हैं, जिसे “कनाक्षी बोली” कहा जाता है। यह भाषा इतनी अलग और जटिल है कि अन्य लोग इसे आसानी से समझ नहीं सकते। यहां तक कि कुल्लू के आसपास के लोग भी इस भाषा को नहीं समझते। यह बोली गांव के अंदर ही प्रचलित है, और बाहरी लोगों से इसे साझा नहीं किया जाता। मलाणा का यह अद्भुत जीवनशैली और संस्कृति न केवल उसकी धार्मिकता को दर्शाता है, बल्कि यहां के लोगों की आस्था, परंपराओं और नियमों के प्रति गहरी श्रद्धा भी साफ नजर आती है।