Friday, March 21, 2025

Mahakumbh 2025 In Prayagraj नहीं जा पा रहे मौनी अमावस्या पर महाकुंभ तो घर पर करें काम, मिलेगा अमृत स्नान का पुण्य

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Khabarwala 24 News New Delhi : Mahakumbh 2025 In Prayagraj हिंदू धर्म शास्त्रों में मौनी अमावस्या का विशेष महत्व है। प्रयागराज में महाकुंभ चल रहा है। इस महाकुंभ में एक अमृत स्नान हो चुका है। ये अमृत स्नान महाकुंभ का पहला अमृत स्नान था, जोकि 14 जनवरी मकर संक्रांति पर किया गया था अब महाकुंभ में दूसरा अमृत स्नान किया जाएगा। ये अमृत स्नान मौनी अमावस्या पर किया जाएगा।

हो जाती है पुण्य फलों की प्राप्ति (Mahakumbh 2025 In Prayagraj)

हिंदू धार्मिक मान्यता है कि मौनी अमावस्या पर स्नान-दान करने पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन पितरों का तर्पण और पिंडदान भी किया जाता है। माना जाता है कि इस दिन पितर धरती लोक पर आते हैं और अगर इस दिन पितरों का तर्पण और पिंडदान किया जाता है तो वो प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं. क्योंकि इस दिन किए गए तर्पण और पिंडदान से पितर मोक्ष को प्राप्त करते हैं।

स्नान-दान की परंपरा कब से (Mahakumbh 2025 In Prayagraj)

हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन मनु ने मौन रहकर गंगा में डुबकी लगाई थी तब से ही साधु-संत और श्रद्धालु इस दिन मौन साधना करते हैं और गंगा सहित अन्य पवित्र नदियों में डुबकी लगाते हैं। साथ ही दान भी करते हैं। ऐसे में मौनी अमावस्या के दिन स्नान करें। अगर मौनी अमावस्या पर महाकुंभ या किसी भी अन्य नदी में स्नान के लिए पहुंचने में असमर्थ हैं तो घर में इन उपायों को कर महाकुंभ में अमृत स्नान के बराबर पुण्य कमा सकते हैं।

माघ माह की मौनी अमावस्या (Mahakumbh 2025 In Prayagraj)

हिंदू पंचांंग के अनुसार, माघ महीने की अमावस्या मौनी अमावस्या कही जाती है। इस बार माघ माह की अमावस्या की तिथि 28 जनवरी को शाम 7 बजकर 35 मिनट पर शुरू होगी। इस तिथि का समापन 29 जनवरी को शाम 6 बजकर 5 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, 29 जनवरी को मौनी अमावस्या मनाई जाएगी। इस दिन इसका व्रत रहेगा। इसी दिन महाकुंभ में दूसरा अमृत स्नान भी किया जाएगा।

करें उपाय, गंगा मंत्र का जाप (Mahakumbh 2025 In Prayagraj)

मौनी अमावस्या पर अगर आप किसी कारण से महाकुंभ में या किसी अन्य स्थान की पवान नदी में स्नान के लिए नहीं पहुंच पा रहे हैं, तो घर में नहाते समय पानी में गंगाजल मिला लें फिर उस गंगाजल से स्नान करें। स्नान के समय ‘गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती. नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु’। इस गंगा मंत्र का जाप करें। ऐसा करके आप महाकुंभ के अमृत स्नान के बराबर पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।

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