Khabarwala24News(New Delhi) : रूढ़िवादी विचारों से मुक्ति जरूरी भारत आज तेजी से विकास की ओर बढ़ रहा है लेकिन कहीं ना कहीं रूढ़िवादी विचारों से आजाद नहीं हुआ है। रूढ़िवादी विचारधारा स्त्रियों पर सबसे अधिक हावी हैं। मानसिकता के कारण स्त्री चाहे जिस भी वर्ग जाति समूह की रही हो वह जन्म से ही अपने आप को असहाय और अबला समझकर सदैव पुरुषवादी मानसिकता का शिकार होती रही है। मासिक धर्म को लेकर चली आ रही रूढ़िवादी सोच का सामाजिक स्तर पर कई प्रकार से दुष्प्रभाव भी देखने को मिलता रहा है ।
यह कहना है कि राजस्थान भिवाड़ी की मोहिनी राणा का मासिक धर्म के दिनों में महिलाओं को अछूत मानना उन्हें घर के काम न करने देना पूजा-पाठ के योग्य ना मानना| कम उम्र में लड़कियों की ज़बरदस्ती शादी करना, छोटी उम्र में लड़कियों की शादी करवाना भले ही हमारे देश में बहुत पहले गैरकानूनी करार दिया गया है। लेकिन आज भी यह चीज छुपते-छुपाते हो रही है। समय से पहले शादी होने के कारण लड़कियां शारीरिक रूप से मैच्योर नहीं हो पाती और गर्भवती हो जाती हैं। इससे उनके प्रजनन स्वास्थ्य पर गलत असर पड़ता है । जिससे प्रसव के दौरान कठिनाई भी आ सकती है। यह कठिनाई भविष्य में ख़तरनाक बीमारियों का रूप ले सकती है।
उनका कहना है कि रूढ़िवादी सोच के कारण समाज में आज भी असमानता देखी जा रही है।जिससे केवल एक व्यक्ति ही नहीं पीढ़ी दर पीढ़ी प्रभावित हो रहा है। नज़रिया बदलने की ज़रूरत है… महिलाओं के प्रति रूढ़िवादी सोच घर, दफ़्तर और समाज में हमेशा से मौजूद रही है। उन्हें क्या करना चाहिए और वे क्या नहीं कर सकतीं, यह पहले से तय कर दिया गया है। इस सोच में बदलाव लाने के लिए पहला क़दम हमें ही उठाना होगा।