Khabarwala 24 News New Delhi : India-Pakistan War भारत ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले का करार जवाब दे दिया है, जिसके बाद पाकिस्तान तिलमिलाया हुआ नजर आ रहा है। भारत ने पाकिस्तान और PoK में 9 ठिकानों पर स्ट्राइक करते 100 से ज्यादा आतंकी मार गिराए। बात करेंगे उन फिल्मों की जो भारत और पाकिस्तान की जंग के दौरान हिंदी सिनेमा की तीन फिल्मों रिलीज हुईं, जिनमें से एक ने अच्छा कारोबार करके दिखाया था।
16 दिसंबर को आत्मसमर्पण (India-Pakistan War)
3 दिसंबर 1971 से 16 दिसंबर 1971 के बीच, भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था। इस जंग के दौरान पूर्वी पाकिस्तान ने बांग्लादेश के रूप में स्वतंत्रता हासिल की थी। युद्ध की शुरुआत 3 दिसंबर को पाकिस्तान ने भारतीय हवाई अड्डों पर हमला करके की थी। वहीं पाकिस्तानी सेना ने ढाका में 16 दिसंबर को भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया, जिससे बांग्लादेश का निर्माण हुआ।
हरे रामा हरे कृष्णा (1971) (India-Pakistan War)
फिल्म हरे रामा हरे कृष्णा भारत-पाक जंग के बीच रिलीज हुई थी। इस फिल्म का डायरेक्शन देव आनंद ने किया था और उन्होंने ही इसे प्रोड्यूस भी किया था। इतना ही नहीं इस फिल्म की कहानी भी देव आनंद ने ही लिखी थी। फिल्म ने भारतीय बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन किया और अपना कुल बजट भी वसूल कर लिया। यह 1971 की दसवीं सबसे ज्यादा कमाई करने वाली भारतीय फिल्म थी। फिल्म को 80 से 85 लाख के बजट के साथ बनाया गया था। फिल्म का लाइफटाइम कलेक्शन करीब 3.40 करोड़ है।
पराया धन (1971) (India-Pakistan War)
3 दिसंबर 1971 को रिलीज हुई फिल्म पराया धन भी भारत-पाक की जंग के बीच दर्शकों के सामने पेश की गई थी। फिल्म की लीड हीरोइन हेमा मालिनी थीं। इसका डायरेक्शन राजेन्द्र भाटिया ने किया था। हेमा मालिनी के अलावा फिल्म में बलराज साहनी और राकेश रोशन भी अहम किरदारों में नजर आए थे। आर डी बर्मन का शानदार संगीत और किशोर कुमार की प्लेबैक सिंगिंग ने सभी का दिल जीत लिया था। इस फिल्म को काफी पसंद किया गया था।
उपहार (1971) (India-Pakistan War)
राजश्री के बैनर तले बनी फिल्म उपहार 10 दिसंबर 1971 को रिलीज की गई थी। ये एक अल्हड़ युवती की कहानी है। ताराचन्द बड़जात्या ने इस फिल्म को बनाया था। फिल्म में जया भादुड़ी, स्वरूप दत्ता और कामिनी कौशल ने अहम किरदार निभाए थे। फिल्म की कहानी रविन्द्रनाथ टैगौर की 1893 की लघु कथा ‘समाप्ति’ पर बेस्ड थी। फिल्म को कई भाषाओं में डब किया गया था। बंगाली में सत्यजीत रे ने इसे ‘तीन कन्या’ नाम से रिलीज किया था। इस फिल्म को विदेशी भाषाओं की फिल्मों की केटेगरी के लिए 45 वें अकादमिक पुरस्कारों के लिए चुना गया था, लेकिन इसे कोई अवॉर्ड नहीं मिला।