Khabarwala 24 News New Delhi : About End of Kaliyuga आप तो जानते ही होंगे कि कलियुग में पाप बढ़ चुके हैं। आध्यात्मिक शास्त्र लुप्त होना, पाखंड बढ़ना, संप्रदायों की कल्पना का प्रसार जैसी कई सारी घटनाओं से हमें मालूम हो रहा है कि कलयुग अपनी चरम सीमा पर पहुंचने वाला है। बता दें कि गोस्वामी तुलसीदासजी ने रामचरित के उत्तराखंड में कांग भुसुंड जी के पूर्व जन्म और काली की महिमा का वर्णन किया है। इसमें हजारों वर्ष पूर्व श्रीमद्भगवद्गीता में सुखदेवजी ने कलियुग का वर्णन विधान और क्षेत्र से किया है जो हमारी आंखें खोलने के लिए काफी है। आज घटनाएँ चारों दिशाओं में फैल रही हैं। ऐसा लगता है कि ठीक आगे ऐसा ही होगा।
कलियुग की शुरुआत (About End of Kaliyuga)
जानकारी के अनुसार कलियुग अहंकार और संघर्ष का युग है। इस युग में सबके मन में असंतोष है और हर कोई मानसिक रूप से दुखी है। वह युग है कलियुग। इस युग में एक चौथाई धर्म बच गया है। कलियुग की शुरुआत 322 ईसा पूर्व में हुई थी। कलियुग के अंत में 312 ईसा पूर्व के समय में मेष राशि के समय पांच ग्रह मंगल, बुध, शुक्र, बृहस्पति और शनि शून्य डिग्री हो गए थे। तभी से कलियुग की शुरुआत हुई थी। अब कलियुग का पहला चरण चल रहा है। पुराणों में हमें कलियुग का काल और उसका अंत कैसे होगा, इसके बारे में विस्तार से बताया गया है।
कलियुग की अवधि (About End of Kaliyuga)
बता दें कि मनुष्य का एक महीना पितरों के एक दिन और रात के बराबर होता है, वहीं दूसरी ओर अगर मनुष्य का एक साल भगवान के एक दिन और रात के बराबर और 30 साल भगवान के एक महीने के बराबर होता है। कलियुग की अवधि को बारह सौ दिव्य वर्ष तक दिखाया गया है। अगर इस गणना के आधार पर कलियुग की अवधि 3 लाख 32 हजार वर्ष की होगी। उसके आधार पर 2106 + 2016-2115 वर्ष बीत चुके हैं और 400026 2882 अभी भी लंबित हैं। ऐसे में मनुष्य के 800000 64000 वर्ष देवताओं के 24 दिव्य वर्षों के बराबर है अर्थात एक द्वापरयुग। दूसरी ओर, त्रेतायुग 200 के बराबर है। जिसमें मनुष्य के 1200000 96,000 वर्ष आते हैं।
कलियुग का अंत (About End of Kaliyuga)
ब्रह्मवैवर्त पुणे में दिखाया गया है कि कलयुग के अंत में एक इंसान की औसत जीवन प्रत्याशा 20 साल होगी। एक महिला पांच साल की छोटी उम्र में गर्भवती हो जाएगी। सोलह साल का आदमी बूढ़ा हो जाएगा। और 40 साल की उम्र में मर जाएगा। ऐसे में कलियुग में एक समय आएगा जब मनुष्य की आयु बहुत कम होगी। किशोरावस्था समाप्त हो जाएगी। कलियों के प्रभाव में, जानवरों का शरीर छोटा हो जाएगा। शरीर जल्द ही पीड़ित होने लगेगा। भगवान कल्कि का पृथ्वी पर आने का समय मनुष्य पर केवल 20 या 30 वर्ष ही खेला जाएगा।
गड्ढे खोद जीयेंगे (About End of Kaliyuga)
बता दें कि सुखदेवजी परीक्षित कहते हैं कि जहां भी घातक कलियुग आएगा, वहां उत्कृष्ट धर्म, सत्य, पवित्रता, क्षमता, दया, उम्र, बच्चे, कई यादें गायब हो जाएंगी। कई वर्षों तक जमीन सूखी रहने के कारण कलियुग के अंत में बहुत तेज बारिश होती है। जिससे चारों तरफ पानी भर जाता है। जिस समय सारी पृथ्वी पर जल होगा उसी समय बारह सूर्य उदय होंगे। इसके तेज से यह पृथ्वी सूख जाएगी। कलियुग के अंत में भयानक तूफान और भूकंप आएंगे। लोग घरों में भी नहीं रह सकते हैं। लोग गड्ढे खोदकर जी रहे होंगे। महाभारत में कलियुग की प्रलय का उल्लेख है और कहा जाता है कि कलियुग का अंत पानी से नहीं बल्कि पृथ्वी की गर्मी के कारण होगा।